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डर !





जिंदगी इतनी आसान नही है, जितनी हम समझतें है।एवं इतनी महंगी भी नही जितनी दुसरे समझतें है। सिर्फ जीने का सही ढंग समझना जरुरी है।


जिंदगी जीते समय सबसे खतरनाक भावना है डर।जो अंदर से खोखलापन पैदा करती है।इसलिए जितना हो सके डर की भावना की उपज से बचें।


लगातार कोशिश जारी रहे जीने की। सही ढंग से जीने की।होश सँभालने की। अपने अंदर ही ब्रम्हांड की वो सारी शक्तियाँ समायी हुयी है।बस ईमानदारी परखी जाती है।अगर इसपर सच उतरते हो तो मंजिले अपने कदमों निश्चित पाओगे।


बस!थकना नही।न की हार मानना।पुरी चाहत से,मेहनत से आगे बढ़ते ही रहना।

डर को हमेशा के लिए कुचल दो।सच्चाई की राह पर चलनेवाले हमेशा निर्भय होते है।आत्मबल संपन्नता ही हर आत्मोन्नती एवं सफलता का राज है।


-रत्नप्रभा

 
 
 

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